Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 67( At Home)

Chapter-18: At Home....

उस दिन हम हॉस्टल  सुबह 4 बजे पहुँचे...हॉस्टल  आते वक़्त बीच रास्ते मे मैने जब bhu के मोबाइल से दीपिका मैम  को कॉल लगाया था तब 1 बज रहे थे और वहाँ से हॉस्टल  तक आने मे हमे मुश्किल से आधा घंटा लगता ,लेकिन हम लोग आधे घंटे मे नही ,बल्कि 3 घंटे मे हॉस्टल  पहुँचे....ख़ैरियत थी कि हम तीनो मे से किसी को कुछ नही हुआ था,लेकिन हमने वो तीन घंटे कहाँ बिताए ये हमे ज़रा सा भी याद नही था...याद था तो बस सीनियर हॉस्टल  के सामने बाइक रोकना और फिर सिदार  को कॉल लगाकर सीनियर हॉस्टल  का गेट खुलवाना.....क्यूंकी अपने हॉस्टल  मे जाते तो वार्डन लफड़ा कर सकता था और यदि इसी पॉइंट को लेकर गर्ल्स हॉस्टल  की वॉर्डन ने रात वाले कांड से जोड़ दिया, जिसमे हमने गर्ल्स हॉस्टल मे पत्थरबाजी की थी तो हम तीनो लंबे से फँस सकते थे, फिलहाल हमारा इस लफडे मे फँसने का कोई इरादा नही था,इसलिए हम तीनो अपने हॉस्टल  ना जाकर सीधे सीनियर हॉस्टल  पहुँचे थे.....

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उसकी अगली सुबह मेरी नींद सीधे दोपहर को 11 बजे खुली और वो भी इसलिए क्यूंकी एक तो मुझे प्यास लगी थी और दूसरा बहुत देर से मेरा मोबाइल बज रहा था....मैने टेबल पर रखे हुई पानी की बॉटल को उठाया और आँखे मल कर एक नज़र मोबाइल स्क्रीन पर डाली....

"ये क्या.... 1000 मिस कॉल..?? 😳"

मैने तुरंत अपनी आँखो को हाथो से सहलाया और एक बार नज़र फिर मोबाइल पर डाली , मोबाइल पर 10 मिस कॉल्स थी और वो सभी मिस कॉल्स घर से थी.....मोबाइल को वापस बिस्तर पर पटक कर मैं हॉस्टल  के बाथरूम मे घुसा और नल चालू करके लगभग 5 मिनिट्स तक अपना सर ठंडे पानी से भीगोता रहा, ऐसा करने पर मुझे बहुत ठंडक महसूस हो रही थी....उसके बाद मैं वापस रूम पर आया और घर का नंबर डायल किया.....

"फोन क्यूँ नही उठाता, सुबह से हज़ार बार कॉल कर चुका हूँ..."उधर से कॉल रिसीव होते ही तेज आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी

"कौन..विपिन भैया..?."

"नही...रॉंग नंबर लगाया है तूने.."

"साइलेंट मे था मोबाइल कल रात से, अभी देखा तो मिस कॉल थी...."

"चल ठीक है.. ...घर कब आ रहा है..."

"आज ही दोपहर 12 बजे की ट्रेन है..."

"तो अभी कहाँ है...."

"अभी हॉस्टल  मे हूँ...."बोलते हुए मैने एक नज़र दीवार पर लगी घड़ी पर मारी " 11 तो यही बज गये...."

उसके बाद मैने तुरंत भैया से कहा कि मैं हॉस्टल  से रेलवे स्टेशन के लिए ही निकल रहा हूँ, बाद मे कॉल करता हूँ.....उसके बाद मैने मोबाइल सीधे अपनी जेब मे डाला और अरुण , bhu को लात मार कर उठाया.....

"अबे कुत्तो, मुझे रेलवे स्टेशन छोड़ो जल्दी..."

Bhu तो हिला तक नही, ले देकर मैने कैसे भी करके अरुण को उठाया और रेलवे स्टेशन चलने के लिए राज़ी किया.....उसके बाद 15 मिनट. मे मैने सब कुछ कर लिया, फ्रेश भी हो गया, अपना बैग भी पैक कर लिया और बाइक पर बैठकर रेलवे स्टेशन के लिए भी निकल गया.....हॉस्टल  से निकलते वक़्त तो यही लग रहा था कि मैं कुछ नही भूला हूँ,लेकिन जब मै ट्रेन के अंदर अपनी सीट पर बैठा तब मुझे अपनी ग़लती का अहसास होने लगा था....

"ब्रश.....वो भी भूल गया "

"स्लीपर....वो भी भूल गया "

"एटीएम कार्ड...साला, वो भी भूल गया... अंडरवियर भी.. अब डायरेक्ट पैंट पहनना पड़ेगा... चैन फंस जाता है तो बहुत दर्द होता है साला..."

जब मुझे धीरे-धीरे याद आने लगा कि मैं क्या-क्या भूल गया हूँ तो मैने सबसे पहले बाकी काम छोड़ कर अपना वॉलेट चेक किया और पीछे की जेब मे वॉलेट है ,ये देखकर मैने राहत की साँस ली.....मैने वॉलेट निकाला और देखने लगा कि उसमे कितना माल है,...

"कल रात तो 3000 था, एक ही रात मे ऐसा क्या कर दिया मैने...."

मैने सोचा की शायद 1000-500 की नोट दूसरे पॉकेट्स मे पड़ी होंगी,इसलिए मैने अपने दूसरे पॉकेट्स भी चेक करके देखा,...पैसे तो नही मिले..लेकिन मेरे जीन्स पैंट के जेब मे रखे हुए,पेन्सिल...एरेसर...कटर...एक पेन, जिसकी स्याही बाहर निकल आई थी...यही सब थे...गुस्से मे मैने सारी चीज़े निकाल कर खिड़की से बाहर फेकि और इंतज़ार करने लगा ट्रेन के चलने का...
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जब घर से दूर था ,तब भी पढ़ाई की फिकर होती थी और अब घर पर हूँ तो अब भी मुझे पढ़ाई की फिकर है...कॉलेज मे मूड हर वक़्त बदलता रहता था इसलिए एक पल मे जो सोचता था वो दूसरे पल मे लाइट की वेलोसिटी से आर-पार हो जाता था, मैं स्टडी नही कर रहा हूँ ये ख़याल मुझे तब भी आया था,जब मैं कॉलेज मे था...लेकिन वहाँ का माहौल ही कुछ ऐसा था कि मैं कभी सीरीयस नही हो पाया...लेकिन इस वक़्त मैं घर पर था, जहाँ घर के अंदर एक कदम रखने से पहले ये पुछा गया कि एग्जाम्स  कैसा गया..? पांडे जी की बेटी का सब पेपर हंड्रेड टू हंड्रेड गया है...घर पर यदि कोई आता भी तो वो "कैसे हो बेटा"कहने की बजाय ये पुछ्ता की "एग्जाम्स  कैसे गये,..."

कोई -कोई तो ये भी पुछ्ता कि कितने मार्क्स आ जाएँगे, मैं अपने ही घर मे किसी मुज़रिम की तरह क़ैद हो गया था,जिसकी वजह सिर्फ़ एक थी कि मेरे पेपर इतने खराब गये थे कि टॉप मारना तो पूरे यूनिवर्स की लंबाई मापने के बराबर था, इधर तो ये भी कन्फर्म नही था कि मैं किस-किस सब्जेक्ट मे पास हो जाउन्गा.....घर वाले मुझसे बहुत उम्मीदे जोड़े हुए थे और इसमे उनकी ज़रा सी भी ग़लती नही थी...एलेक्ट्रान के साइज़ के बराबर भी ग़लती उनकी नही थी....उनकी ये उम्मीद मैने ही बाँधी थी..मेरे आज तक के एजुकेशन रिकॉर्ड ने ही उन्हे मुझसे इस तरह उम्मीद रखने के लिए प्रेरित किया था और जो सवाल वो आज पूछ रहे थे,वो सवाल वो मुझसे पहले भी करते थे...लेकिन फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि पहले मैं उनके इस तरह सवाल पुछने के पहले ही बोलता था कि "पापा, आज का पेपर पूरा बन गया,..."या फिर ये बोलता कि" सिर्फ 1 नंबर का छूट गया है...."
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मेरे इस तरह कहने पर वो कहते कि "कोई बात नही बेटा...1 नंबर का ही तो छूटा है..."

यही उम्मीद मैं आज भी कर रहा था कि मैं जब उन्हे सब सच बताऊ तो वो पहले वाले अंदाज़ मे ही बोले कि"डॉन'ट वरी बेटा, ये तो फर्स्ट सेमेस्टर है ,बाकी के सात सेमेस्टर बाकी है..."

लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ, ना तो मैने उन्हे सच्चाई बताई और ना ही उन्होने मुझसे ऐसा कहा....जब तक ,जितने भी दिन मैं घर मे रहा मैं हर पल घुटता रहा,..हर पल,खाते,पीते ,सोते ,जागते मैं यही सोचता रहा कि मैं तब क्या कहूँगा,जब रिज़ल्ट निकलेगा...क्या बहाना मारूँगा....घर मे तो कुछ बहाना मार भी नही सकता था क्यूंकी घर मे इन सब बहानो को अच्छी तरह समझने वाला मेरा बड़ा भाई था...जो इस वक़्त मेरे सामने बैठा हुआ था....

"गर्ल फ्रेंड बनायीं तूने कोई कॉलेज मे....??"

"आयुवदबंडक... ददफडिअहागसन "

"क्या बक रहा है.. अरे गर्ल फ्रेंड बनायीं तूने कॉलेज मे.. इसका जबाब दे..?"

"ना..."

"सिगरेट पिया..."

"पानी तक नही पीता मैं तो बिना फिल्टर किए हुए, सिगरेट तो बहुत दूर की बात है...."

"कल रात दारू कितनी पी थी..."

"एक भी नही "मैं तुरंत बोल पड़ा....

"मुझे horseriding मत सिखा...तेरी आवाज़ सुनकर ही समझ गया था..."

"नो भाई, मैं तो उस वक़्त सो कर उठा था...."

"खा उस लड़की की कसम ,जो तुझे कॉलेज मे सबसे अच्छी लगती है ,कि तूने कल रात शराब नही पी थी..."

जैसे ही विपिन भैया ने ये बोला, मेरे जहन मे ईशा  आई , अब दिक्कत ये थी कि ईशा  की झूठी कसम खाकर खुद को ग़लत होते हुए भी सही साबित करू या फिर सब कुछ सच बता कर खुद को एक नये बोझ से दूर करू ...उस वक़्त मैने दूसरा रास्ता चुना, लेकिन क्यूँ ? ये मैं नही जानता....

"वो दोस्तो ने जबरदस्ती पिला दी थी..."

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1 Comments

Barsha🖤👑

26-Nov-2021 06:02 PM

बहुत सुंदर भाग

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